या देशातील नागरिक खाण्यावर घालवतात सर्वाधिक वेळ : जाणून घ्या भारत कितव्या क्रमांकावर
Nations and the time spent on eating या यादीमध्ये युरोपीयन देश आघाडीवर आहेत. पहिल्या क्रमांकावरच्या देशाचे नागरिक सरासरी 2 तास 13 मिनिटे खाण्यापिण्यावर आपला वेळ खर्च करतात. भारताचा देखील या यादीमध्ये समावेश असून भारत कितव्या नंबरवर आहे याची देखील माहिती तुम्हाला मिळणार आहे.


दिसंबर आते ही पार्टियों का दौर शुरू होने वाला है. कोरोना संक्रमण के कारण इस साल वैसा दौर तो नहीं चलेगा, लेकिन तब भी लोग अपने परिवारों के बीच खास डिश पकाने की प्लानिंग कर रहे हैं. खाने-पीने का ये दौर काफी लंबा-लंबा होगा. लेकिन फ्रांस इस मामले में सबसे आगे है. वहां रोजाना औसतन 2 घंटे 13 मिनट खाने को दिया जाता है. त्योहारों के सीजन में ये और लंबा खिंचता है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)


ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) ने दुनिया के कई देशों के लोगों की प्रवृत्ति व जीवनशैली से संबंधित आंकड़े पेश किए, जिस दौरान ये निकलकर आया. वैसे फ्रांस की डाइट लंबे समय से हेल्दी डाइट का मॉडल रही. वे बैलेंस्ड डाइट लेते हैं. इसमें हरी सब्जियों और फलों के साथ टमाटर और ऑलिव जैसी चीजें खूब खाई जाती हैं. आमतौर पर फ्रांस में परिवार के हरेक सदस्य के लिए अलग से डायट होती है, जो उनकी शारीरिक-मानसिक जरूरतों के मद्देनजर होती है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)


ये देश मेडिटरेनियन डाइट (Mediterranean diet) पर निर्भर है, जिसमें मछली, सीफूड, ऑलिव, सब्जियां और फल शामिल हैं. मेडिटरेनियन डाइट साल 1960 में दिल की बढ़ती बीमारियों को ध्यान में रखकर शुरू हुई थी, जिसकी लोकप्रियता बढ़ती चली गई. अब यूरोप के कई देश इसे लेते हैं. यहां पर bigger is better का विपरीत कंसेप्ट है यानी यहां रुक-रुककर छोटे-छोटे हिस्सों में खाना खाया जाता है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)


इसके बाद नंबर आता है इटली का. यहां रोज लोग औसतन 2 घंटे 7 मिनट खाने को देते हैं. इस यूरोपियन देश के खाने का पैटर्न भी फ्रांस से मिलता-जुलता है. यहां लोग खाने-पीने के बेहद शौकीन हैं और सालभर देश के किसी न किसी हिस्से में कोई खास फूड फेस्टिवल चलता रहता है. तीसरे नंबर पर स्पेन है, जहां खाने को ईश्वर का वरदान कहा जाता है और कोई भा खाना छोड़कर नहीं उठता. यही कारण है कि फूड वेस्ट के मामले में ये या फिर दूसरे यूरोपीय देश एशिया या अमेरिका से पीछे हैं. सांकेतिक फोटो (Pixabay)


चौथे नंबर पर दक्षिण कोरिया है, जहां लोग 1 घंटा 45 मिनट खाने को देते हैं. कोरिया में खाने और सोने को काफी तरजीह मिलती है और यही वजह है कि वहां खाने को लेकर लोग काफी आक्रामक भी हैं. हाल ही में इस देश ने चीन पर अपनी एक पारंपरिक डिश किमची चोरी करने का आरोप भी लगाया था. वैसे दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरियाई डिशें लगभग समान हैं. और यही कारण है कि दोनों देशों के बीच जब भी शांति की कोई पहल हुई, उस दौरान मेन्यू पर खास ध्यान दिया गया, जो दोनों के बीच पुल का काम करे. सांकेतिक फोटो (Pixabay)


चीन का खाना भी कोरियाई देशों से मिलता-जुलता है लेकिन चीन में पश्चिमी शैली के साथ भी स्थानीय प्रयोग किया जाता है, जिससे वहां का असल स्वाद खो जाता है. साथ ही चीन में खाना पकाने की प्रक्रिया पर कम समय देना सही माना जाता है. यही कारण है कि कई डिशों में होने वाले फर्मेटेशन जैसी प्रक्रिया को वे जैसे-तैसे पूरा करते हैं. वैसे चीन इस लिस्ट में पांचवे नंबर पर है, जहां रोज औसतन 1 घंटा 40 मिनट खाने को दिया जाता है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)


लगभग 1 घंटा 35 मिनट के साथ जर्मनी खाने पर समय देने वालों की लिस्ट में छठवां देश है. इसके तुरंत बाद जापान का नंबर आता है. इस देश का खाना healthiest माना जाता है. दूसरे विकसित देशों से अलग यहां के लोग बाहर खाना कम ही पसंद करते हैं. यहां अधिकतर लोग घर पर भाप में पका खाना या ग्रिल्ड फूड लेते हैं. बैठकर आराम से खाना खाना और खूब पैदल चलना भी यहां के लोगों की सेहत का राज है. यहां पर साल 2005 में शुकु आईकु नियम लागू हुआ. शुकु का मतलब खाना, खाने की आदत और आईकु का अर्थ है बौद्धिक, नैतिक और शारीरिक एजुकेशन. इस नियम के तहत बच्चों में अच्छे खाने और सीखने की आदत को बढ़ावा दिया जाता है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)


इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और फिर नवां नंबर हमारा यानी भारत का है, जहां लोग औसतन 1 घंटा 24 मिनट खाने पर देते हैं. हालांकि खाने की तैयारियों में भारत में ज्यादा समय बिताया जाता है. इसकी वजह ये भी है कि हम ज्यादातर बाहर खाने से परहेज करते हैं और घर पर अधिकतर महिला सदस्य ही खाना पकाती हैं. ये बात भी कई रिसर्च में दिख चुकी है कि भारतीय महिलाएं अवैतनिक कामों में पुरुषों से अधिक समय देती हैं. सांकेतिक फोटो (pxhere)